किडनी फेल्योर की आयुर्वेद में है बहुत ही कारगर चिकित्सा
"किडनी फेल्योर" को आयुर्वेद में व्रक्क सन्यास या व्रक्काकर्मण्यता नाम से जाना जाता है। सन् 2004 से "दिव्य चिकित्सा भवन" में "किडनी फेल्योर" पर निरन्तर प्रयोग, अनुसंधान और चिकित्सा कार्य चल रहा है।
हर साल लगभग 500 से भी अधिक रोगी "दिव्य चिकित्सा भवन" में भर्ती होकर चिकित्सा लाभ प्राप्त करते हैं और इससे अधिक किडनी फेल्योर रोगी यहॉं की ओपीडी में आकर लाभ उठाते हैं।
क्या एलोपैथ में किडनी फेल्योर की चिकित्सा है?
देश का दुर्भाग्य है कि अंग्रेजी शासनकाल में डाली गयी नींव का आज भी जनमानस पर ऐसा गहरा प्रभाव है कि चाहे बीमारी छोटी हो या बडी कोई भी व्यक्ति सबसे पहले एलोपैथिक चिकित्सा में ही जाता है।Read More
दिव्य चिकित्सा भवन, पनगरा, बॉंदा - चित्रकूट धाम मण्डल, भारत
उत्तर भारत का प्रथम स्थापित इण्डोर आयुर्वेद सेण्टर
दिव्य चिकित्सा भवन
दिव्य चिकित्सा भवन की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपस्थली, चित्रकूट धाम मण्डल के "बॉंदा" जिले में की गयी है। यह उत्तर भारत का एक प्रथम आयुर्वेद इण्डोर हास्पिटल है जो अपनी स्थापना काल से ही रोगियों से भरा रहता है। इस अस्पताल की स्थापना 1992 में आयुर्वेद प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती के दिन की गयी थी।
यह हास्पिटल नॉन फ्राफिटेबल चेरिटेबल संस्थान के रुप में चलाया जा रहा है। जिन रोगों का उपचार एलोपैथी में नहीं है उनकी चिकित्सा सेवा प्रदान करना इस अस्पताल का प्रमुख उददेश्य है।
दस सूत्रों का पालन करें और सपरिवार सदैव स्वस्थ रहें
बासी खाना जिसमें ब्रेड, बिस्किट, नमकीन, फ्रिज में रखा भोजन, सभी मिठाइयॉं, कोल्डिंक आते हैं कतई सेवन न करें।
गिलोय, तुलसी, घ्रतकुमारी, ऑंवला, देशी गोघ्रत, सरसों तेल का नियमित सेवन करें।
कपाल भॉंति प्राणायाम का 10 से 15 मिनट तक और नाडी शोधन प्राणायाम का 10 से 15 मिनट तक नियमित अभ्यास करें।
दोपहर भोजन के बाद गाय का ताजा मठ्ठा, रात में सोते समय गो दुग्ध सेवन करें।
सुबह का नाश्ता पौष्टिक, दोपहर का भोजन सुबह से हल्का और रात्रि का भोजन बहुत कम मात्रा में लें।
जिन्हें गैस बनती हो, ऑंव हो (कोलाईटिस) हो, अपच हो और मन्दाग्नि हो उन्हें कच्ची सलाद का सेवन नहीं करना चाहिए, न ही उन्हें कच्ची सब्जियों का जूस लेना चाहिए। यदि सलाद लेना हो तो सदैव अर्धपक्व ही लें।
जब तक एक बार का किया आहार न पच जाये तब तक दुबारा आहार नहीं लेना चाहिए।
कोशिश करके पेन किलर, नशीली वस्तुयें, स्टेरॉयड मेडिसिन का सेवन नहीं करना चाहिए।
विरुद्ध आहार के सेवन से सदैव बचें। समय से सोयें, समय से जागें।
इतना तरल पदार्थ न सेवन करें कि अग्नि मन्द हो जाय।
इन दस सूत्रों को कडाई से पालन करें आप देखेंगे कि मेडिकल बजट आपका 0 प्रतिशत हो जाएगा।
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